समुद्री कछुए आमतौर पर एकान्त प्राणी होते है, जो समुद्र में अधिक समय तक जलमग्न रहते है, यह बहुत धीमी गति से चलने वाला प्राणी है| इस आर्टिकल में कछुए का जीवन चक्र, उसके निवास स्थान, आहार, व उसके व्यवहार के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया गया है|
Contents
कछुए के बारे में सामान्य जानकारी
यह कॉर्डेटा (Chordata) संघ के सरीसृप (Reptilia) वर्ग के टेस्टुडाइन या किलोनिया { Testudines (also called Chelonia)} गण के अंतर्गत आता है, जिसके दो उपसमूह (suborder), 13 परिवार (family ), 75 पीढ़ी (genera) और 300 से अधिक प्रजातियां है|
कछुए जलीय सरीसृप है, जो जमीन और पानी दोनों प्रकार के वातावरणो में रह सकते है|
कछुए का सिर, आंखे, गर्दन, चार पैर (अग्र व पश्च) और एक पूंछ व कठोर कवच विकसित होते है, कछुए का कठोर कवच उन्हें शिकारियों से बचाता है| उसके अग्रपाद फ्लिपर्स (पतवार के आकार की सरंचना) में विकसित हो जाते है, जो तैरने में मदद करते है|
कछुए बहुत धीमी गति से बढ़ते है, पृथ्वी पर लाखों साल पहले विकसित हुए सरीसृपों के सबसे प्राचीन जीवों में से एक है|
कछुआ कहां पाया जाता है? [Where is the turtle found]
अंटार्कटिका को छोड़कर सामान्यतः सभी महाद्वीप पर पाए जा सकते है, मुख्य रूप से कछुओं की अधिकांश प्रजातियाँ दक्षिण पूर्वी उत्तरी अमेरिका और दक्षिण एशिया के अंतर्गत निवास करते है, यह आमतौर पर नदियों, तालाबों, वर्षावन, समुद्र और स्थलीय रेगिस्तानों में पाये जाते है|
कछुए का आकार [Size of Turtle]
कछुए का आकार तकरीबन 8 सेमी से 2.7 मी (3.1 इंच से 8 फीट 10 इंच) तक हो सकता है|
दुनिया का सबसे बड़ा प्रजाति लेदरबैक समुद्री कछुए (Leatherback turtles) है, जो 2.7 मी (8 फीट 10 इंच) तक बढ़ सकता है, और इसका वजन 600 से 1,500 पाउंड (272 से 680 किलोग्राम) तक हो सकता है|
चेरसोबियस सिग्नेटस कछुआ ( Chersobius signatus ) दुनिया की सबसे छोटी प्रजाति है, इसको आमतौर पर धब्बेदार कछुआ (speckled tortoise) या धब्बेदार पैडलोपर (speckled padloper) के रूप में भी जाना जाता है, यह लंबाई में 8 सेमी (3.1 इंच) व इसका वजन लगभग 5 औंस (142 ग्राम) होता है|
कछुए का कवच [Shell of Turtle]
कछुए का सरंचनात्मक कवच किरैटिन (keratin ) का बना होता है, कछुए का कवच कशेरुकियों में अद्वितीय है, और जानवरों की रक्षा करने का कार्य करता है|
कवच का मुख्य रूप दो भाग होता है :-
- 1. कार्पेस (carapace) :- कछुए की ऊपरी भाग पीठ को ढकती है|
- 2. प्लास्ट्रॉन (plastron) :- यह निचली भाग पेट को ढकता है|
कछुए का भोजन क्या है? [What is food of Turtle]
कछुओं की अधिकांश प्रजातियां सर्वाहारी होती है, वह अपनी प्रजातियों के आधार पर कई तरह की अलग-अलग पदार्थो को खाते है, किशोर आम तौर पर मांसाहारी होते है, लेकिन वयस्कों के रूप विकसित होते तक शाकाहारी हो जाते है|
कछुए अपने भोजन में घास, फल, जामुन, मशरूम और फूल आदि इसके अलावा केंचुआ, मोलस्क (घोंघे) , मछली (जेलीफिश), उभयचर (मेंढक), आर्थोपोडा (कीट व कीट लार्वा), व अन्य सरीसृप (सांप) जैसे प्रजातियां को खाते है, यहां तक की समुद्री कछुए अन्य कछुओं को भी खा जाता है|
कछुए का जीवन चक्र [Life cycle of Turtle]
कछुए की प्रजनन गतिविधियों में भिन्नता पायी जाती है, समशीतोष्ण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश कछुओं के लिए वसंत ऋतु जबकि उष्णकटिबंधीय प्रजातियों के लिए वर्षा ऋतु की आवश्यकता होती है, इसके अलावा प्रचुर मात्रा में भोजन की उपलब्धता भी आवश्यक होता है|
कछुए का जीवन चक्र क्या है?
कछुए का क्रमिक रूप से विकास होता है, जो अंडे से शुरू होकर अंत में वयस्कता को प्राप्त करता है|
कछुए की जीवनकाल की प्रावस्थाएं [Turtle’s Life Stages]
कछुआ अपने जीवनकाल में निम्न चरणो से होकर गुजरता है :-
1.अण्ड प्रावस्था [Egg stage]
कछुए का जीवन चक्र तब शुरू होता है, जब प्रजनन के दौरान मादा द्वारा शुक्राणुओं को डिंबवाहिनी (Fallopian tube) में संग्रहित किया जाता है, और निषेचन के बाद मादा अपने अंडे समुद्र तट पर एक घोंसले में देती है|
अंडे देने से पहले लगभग अधिकांश प्रजातियां घोंसले का निर्माण करती है, गर्भ के अंतिम हफ्तों के दौरान गर्भवती मादा अपने अंडे देने के लिए सही जगह की तलाश करती है|
मादा तापमान और आर्द्रता जैसे पर्यावरणीय कारकों के आधार पर रेतीली या नम मिट्टी तथा धूप वाली जगह का चयन करते है, जो भ्रूण के विकास के लिए महत्वपूर्ण है|
सामान्य तौर पर कछुए लगभग तीन से छह सप्ताह गर्भावस्था के बाद घोंसले में अंडे देती है, और अंडो को रेत से ढक देती है, प्रजातियों के आधार पर मादा द्वारा लगभग 50 से 200 तक अंडे दिए जा सकते है|
अंडे गोलाकार, अंडाकार व कठोर या नरम आवरण वाले होते है, अंडो का आकार 14 से 70 सेमी तक हो सकता है|
कछुए के अंडे के लिए ऊष्मायन की अवधि प्रजातियों के आधार पर भिन्न होती है, समशीतोष्ण प्रजातियों के लिए दो से तीन महीने और उष्णकटिबंधीय प्रजातियों के लिए चार महीने से एक वर्ष तक भिन्न होता है|
अंडे के अंदर विकास का दर तापमान पर निर्भर करता है, गर्म तापमान में विकास तेजी से होता है, और ठंडे तापमान इसे धीमा कर देता है|
घोंसलों के तापमान के आधार पर कछुए नर या मादा में विकसित हो जाते है, कुछ प्रजातियों में उच्च तापमान पर मादा विकसित होता है, व निम्न तापमान पर नर विकसित होता है, जबकि अन्य कुछ प्रजाति में मध्यवर्ती तापमान पर नर और गर्म व ठंडे दोनों ताप पर मादा उत्पन्न होता है|
अधिकांश मादा कछुए अपने अंडे को ढकने के बाद उसका देखभाल नही करती है, हालांकि कुछ प्रजातियां अपने घोंसलों की कुछ दिनो या हफ्तों तक रक्षा करती है, अंडे देने के बाद मादा अंडे को बचाने के लिए अपने फ्लिपर्स का उपयोग करती है|
इस अवस्था में अंडे लगभग छह या सात सप्ताह तक विकसित होने के पश्चात दूसरे चरण में प्रवेश करता है|
2. हैचलिंग [Hatchlings]
ऊष्मायन के बाद अंडे अपने अस्थायी व तेज “अंडे के दांत” (नाक पर एक छोटा, नुकीला,चमकीले रंग का सरंचना होता है, जिसे कारुन्कल (caruncle) भी कहा जाता है|) का उपयोग करके बाहरी आवरण को तोड़कर खोल से बाहर आता है, और शिशु कछुए में विकसित हो जाते है| यह दांत जन्म के तुरंत बाद गिर जाता है|
खोल से बाहर आते समय शिशु कछुए के कवच के नीचे (प्लास्ट्रॉन) में एक छोटी सी जर्दी की थैली होती है, जिससे शिशु के जीवन के शुरुआती दिनों में पोषण प्राप्त हो होता है, तथा बाद में यह तैरते हुए शैवाल पर पाए जाने वाले छोटे जीवो को खाते है|
यह पूरी तरह से स्वतंत्र होते है, समुद्र की धाराओं के साथ बहते हुए लंबा समय बिताते है, उन्हें माता-पिता की देखरेख की आवश्यकता नही होती है|
कछुए के जीवनकाल का यह चरण सबसे कमजोर होता है, इस दौरान मृत्यु दर अधिक होती है, जैसे निर्जलीकरण या पक्षियों और केकड़ों जैसे शिकारियों द्वारा शिकार कर लिया जाता है| बहुत कम शिशु ही वयस्क अवस्था तक पहुंच पाता है|
3. किशोर [Juvenile stage]
घोंसले से बाहर आने के बाद यह खुले समुद्र में तट से दूर तैरते रहते है, और यह तैराकी में अनिश्चित समय बिताते है, इस अवस्था में यह सरीसृप अत्यधिक गतिशील होते है, जो समुद्र के बड़े क्षेत्रों में एक स्थान से दूसरे स्थान में घूमते रहते है|
यह प्लवक, जेलीफ़िश और मछली के अंडे खाते है, किशोर कछुओं की विकास की प्रक्रिया प्रजातियों, तापमान और भोजन की उपलब्धता के अनुसार अलग-अलग होता है|
तापमान अधिक होने पर विकास की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है, इसलिए इस चरण में कई दिन लग सकते है, उन्हे वयस्कता तक पहुंचने में 30 साल से अधिक समय लग सकता है|
अधिकांश प्रजातियां अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ती है, और परिपक्व होने पर धीमी हो जाती है|
4.वयस्क [Adult stage]
इस अवस्था में कछुए पूर्ण रूप से विकसित होते है, समुद्र की गहराई में तैरते रहते है, नर मादा की तुलना में व्यापक क्षेत्रों का दौरा करते है, वे लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकते है, लेकिन उन्हें श्वसन के लिए बार-बार बाहर आना पड़ता है, क्योंकि उनके पास मछली की तरह गलफड़ों नही होते बल्कि फेफड़े होते है|
इस अवस्था में मादा मुख्य रूप से मोलस्क (घोंघे) , जबकि नर ज्यादातर आर्थोपोडा (arthropods) को खाते है, वयस्क कछुए के मुंह में दाँत नही होते है, बल्कि उसके मुँह में कठोर पट होता है, जो भोजन को चबाने में मदद करता है|
प्रजातियों के आधार पर समुद्री कछुए लगभग 2 से 50 साल के अंतर्गत यौन रूप से परिपक्व हो जाते है, और वयस्कता तक पहुंचते है, छोटी प्रजातियां आमतौर पर जल्द ही परिपक्वता तक पहुंच जाती है, और प्रजनन करने में सक्षम होते है|
इस चरण के दौरान पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद वयस्क समुद्री कछुए अपने प्रारम्भिक स्थान (उन समुद्र तटों की ओर लौटते हैं जहां वे पैदा हुए थे,) में चले जाते है|
मादा समुद्री कछुए अंडे देने के लिए तट पर आती है, अधिकांश प्रजातियां अपने जीवनकाल के दौरान प्रत्येक 2-4 वर्षों में घोंसला बनाकर अंडे देना आरंभ कर देती है, इस प्रकार जीवन चक्र फिर से शुरू होता है|
कछुआ भी सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले जीवों में से एक है, इसकी प्रजाति के आधार पर जीवनकाल भिन्न होता है, जिसमें सबसे बड़ी प्रजाति सबसे लंबे समय तक जीवित रह सकते है, कछुए का जीवनकाल लगभग 10 से 250 साल से अधिक हो सकता है|
कछुए का व्यवहार [turtle’s behaviour]
कछुए निम्न प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते है :-
1.घोंसला बनाना
दुनिया भर में समुद्री कछुए गर्म स्थानों (उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय समुद्र तटों) में समुद्र तटों पर घोंसला बनाते है, घोंसला बनाने के लिए रेतीली या नम मिट्टी व धूप वाली जगह का चयन करते है|
अगर मौसम बहुत गर्म हो तो कछुआ मौसम के ठंडा होने तक कई दिनो ( हफ्तों या महीनो) तक घोंसला खोदने में देरी कर सकता है, कछुआ अपने पिछले पैरों व फ्लिपर्स का उपयोग घोंसला खोदने के लिए करता है|
जिसे अंडे के लिए कक्ष के रूप में जाना जाता है, घोंसले बन जाने के बाद मादा द्वारा उसमें अंडे दिए जाते है, और अंत में घोंसले को मादा द्वारा ढक दिया जाता है|
2.प्रवास [Migration]
समुद्री कछुए लंबे समय तक प्रवास (एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर गमन करना) करते है| यह भोजन व शिकारियों से अपनी सुरक्षा के लिए सैकड़ों या कभी-कभी हजारों मील की दूरी तक प्रवास करने की क्षमता रखते है|
वयस्क मादाएं प्रजनन के दौरान अपनी प्रारम्भिक स्थान पर वापस लौट आते है|
3.रक्षा
जब उन्हें खतरा महसूस होता है, तब आंतरिक अंगों की रक्षा के लिए अपने अंगों और सिर को अपने कवच में खींच लेते है|
4.शीतनिद्रा (सुप्तावस्था)
• सर्दियों में जब आहार की समस्या बढ़ जाती है, और तापमान काफी कम हो जाता है, तो कछुए खाना बंद कर देते है, शीत ऋतु में उनके सांस लेने की गति और दिल की धडकन की गति भी कम हो जाती है, और वे गहरी नींद में चले जाते है|
• कछुओं का विकास सतत होता रहता है, और वह सुप्तावस्था में रहता है, इसलिए कछुए लम्बे समय तक जीवित रहते है|
• कछुआ भी अन्य सरीसृप की तरह शीत रक्त (cold blooded) वाला होता है, इस कारण उसको सक्रिय रहने के लिए शरीर को गर्म रखने की आवश्यकता होती है|
• कछुए अपने भारी कवच के कारण जमीन पर धीमी गति से चलते है, एक रेगिस्तानी कछुआ केवल 22 से 48 किमी/घंटा की गति से चलता है, इसके विपरीत समुद्री कछुए 30 किमी/घंटा की गति से तैर सकते है|
• समुद्री कछुए 4 से 7 घंटे तक सांस रोककर पानी के अंदर जीवित रह सकते है, ठंडे पानी में प्रवास के दौरान 10 घंटे तक भी अपनी सांस रोक सकते है|
आखरी सोच
इस प्रकार इस आर्टिकल में कछुए का जीवन चक्र विस्तार पूर्वक समझाया गया है,साथ ही उनके आवास, आहार व उनके व्यवहार के बारे मे जानकारी दिया गया है|
आशा है कि आर्टिकल पसंद आया होगा,और कछुए के बारे में उचित जानकारी प्राप्त हुआ होगा, तथा आपके लिये उपयोगी साबित हुआ होगा,
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