कवक का जीवन चक्र |life cycle of fungus or mold in hindi|

कवक को आसानी से घरों में नमी वाले स्थान या सड़े-गले चीजों में देखा जा सकता है| इस आर्टिकल में कवक से संबधित तथ्यों के बारे में :- जैसे कवक क्या है? कवक कहां पाया जाता है? कवक का पोषण क्या है? कवक का जीवन चक्र, फफूँद का जीवों पर क्या दुष्प्रभाव हो सकता है? इसका वर्णन किया गया है|

Contents

फफूँद (कवक) के बारे में सामान्य जानकारी

कवक (Fungus) एक सूक्ष्म जीव है, जिसे फफूँद (mold) भी कहा जाता है, यह बहुकोशिकीय तन्तु (filament) के रूप में विकसित होता है, जिसे हाइफ (hyphae) कहा जाता है|

इसका विशाल समुदाय है, इस वर्ग के सदस्य पर्णहरिम (chlorophyll) रहित होते है, यह सभी सूकाय (thalloid) वनस्पतियाँ है, इनमें जड़, तना और पत्तियों का अभाव होता है|

प्रकृति में फफूँद अपघटक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| यह मृत कार्बनिक पदार्थ (सेल्यूलोज, हेमी-सेल्यूलोज और लिग्निन) जैसे पत्तियों, पौधों और पेड़ों को अपघटित करते है|

इसकी अधिकांश प्रजातियां जीवों (मनुष्य, पशु-पक्षी) के लिए घातक होती है, तथा गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का कारण बनते है| जबकि कुछ प्रजातियां मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नही होते है, बल्कि लाभदायक होते है|

• हानिकारक कवक का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है :-

  • एलर्जेनिक:- ऐसे कवक जो एलर्जी का कारण बनते है, और एलर्जी उत्पन्न करते है|
  • रोगजनक:- ऐसे कवक जो व्यक्तियों में गंभीर रोग (म्यूकोर्मिकोसिस) उत्पन्न करते है, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए घातक हो सकता है| अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक म्यूकोर्मिसेट नमक कवक के संपर्क में रहता है, तो उसे म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लेक फंगस हो सकता है|
  • टॉक्सिजेनिक:- ऐसे फफूँद जो जहरीले पदार्थ पैदा करते हैं जो खतरनाक या घातक स्वास्थ्य स्थितियों को जन्म दे सकते है| ऐसे कवक को “विषाक्त फफूँद” के रूप में जाना जाता है|

कवक कहां पाया जाता है? [Where is the fungus found?]

फफूँद सर्वव्यापी है, यह नमी में विकसित होता है, यह किसी भी कार्बनिक पदार्थ पर बढ़ने की क्षमता भी रखता है, यह आर्द्र वातावरण और अँधेरे या मंदप्रकाश व ऑक्सीजन की उपस्थिति में विकसित होता है|

कुछ कवक ( लाइकेन ) कड़ी चट्टानों पर, सूखे स्थान तथा पर्याप्त ऊँचे ताप में उगते है, यह आमतौर पर मिट्टी, गोबर, पानी, खाद, कूड़े, संग्रहित अनाज, सड़ने वाले फलों और सब्जियों में उत्पन्न हो सकते है|

कवक की प्रजातियां [species of fungus]

कवक की प्रजातियों की संख्या लगभग 80 से 90 हजार तक है| जलीय कवक में एकलाया (Achlaya), सैप्रोलेग्निया (Saprolegnia), व मिट्टी में पाए जानेवाले म्यूकर (Mucor), पेनिसिलियम (Penicillium), एस्परजिलस (Aspergillus), फ़्यूज़ेरियम (Fusarium) आदि|

लकड़ी पर पाए जाने वाले मेरूलियस लैक्रिमैंस (Merulius lachrymans), गोबर पर उगने वाले पाइलोबॉल्स (Pilobolus) तथा सॉरडेरिया (Sordaria), वसा में उगने वाले यूरोटियम (Eurotium) आदि|

कवक का पोषण क्या है? [What is the nutrition of fungi]

• कवक निम्न प्रकार से पोषण प्राप्त करते है :-

  • मृतोपजीवी (saprophyte) के रूप में कार्बनिक पदार्थों (सड़े-गले वनस्पतियों), उत्सर्जित पदार्थ (waste product) या मृत (मृत जीव जंतुओं) ऊतकों को विश्लेषित करके भोजन प्राप्त करते है|
  • परजीवी (parasite) के रूप में कवक जीवित पोषक (host) पर आश्रित रहते है|
  • सहजीवी (symbiont) के रूप में यह अपना संबंध किसी अन्य जीव से स्थापित कर लेते हैं, जिसके फलस्वरूप इस मैत्री का लाभ दोनों को ही मिल जाता है|
  • कुछ कवक सर्वभोजी होते है, तथा किसी भी कार्बनिक पदार्थ से अपना भोजन प्राप्त कर सकते है|

कवक का जीवन चक्र [life cycle of fungus or mold]

कवक हजारो प्रकार के होते है, सभी का जीवन चक्र का स्वरूप अलग-अलग होता है| कवक में प्रजनन निम्न प्रकार से हो सकता है :-

  • अलैंगिक प्रजनन में, हाइप (hyphae) के एकल उपभेद (strain) पाए जाते हैं, एक स्पोरैंजियम (sporangium) के अंदर बीजाणु ( sporangiospore ) का निर्माण होता है| स्पोरैंजियोस्पोर ( sporangiospore ) के परिपक्व हो जाने पर स्पोरैंजियम फट जाता है, और बीजाणुओं को बाहर मुक्त हो जाता है|
  • लैंगिक प्रजनन में हाइप के दो उपभेद (strain) पाए जाते है, जब वे आपस में जुड़ते हैं, तो वे गोल गेंदे बनाते है, जिन्हे जाइगोस्पोर ( zygospores ) कहा जाता है| बीजाणु जाइगोस्पोरेंजियम (zygosporangium) के अंदर विकसित होता है|

फफूँद की जीवनकाल की अवस्थाएं [life stages of mold]

यह निम्न चरणों में होता है :-

1.कवक का जीवन चक्र का प्रथम अवस्था :- हाइफ वृद्धि [hyphae growth]

जीवन-चक्र की शुरूआत हाइफ नामक कोशिका से होता है, हाइप धागे जैसी तंतुमय कोशिकाएं है, जो पाचक एंजाइम का स्त्राव करता है, जो पोषक पदार्थो को विघटित करने में मदद करते है, कार्बनिक पदार्थों से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है|

यह एक बड़ी कॉलोनी का निर्माण करते है, जिसे मायसिलियम कहा जाता है, कॉलोनी का निर्माण लगभग 24 से 48 घंटों के अंतर्गत विकसित हो सकता है|

2.कवक का जीवन चक्र का द्वितीय अवस्था :- बीजाणु उत्पादन [spore formation]

मायसिलियम स्थापित हो जाने के बाद कुछ हाइफ कोशिकाओं के सिरों पर बीजाणु का उत्पादन शुरू हो जाता है, बीजाणु का निर्माण पोषक तत्वों की उपलब्धता, ऑक्सीजन का स्तर, परिवेश का तापमान और प्रकाश जैसे पर्यावरणीय कारको पर निर्भर करता है, यदि बीजाणु निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितिया नहीं होता है, तो जीवन-चक्र की प्रक्रिया रुक सकता है|

3.कवक का जीवन चक्र का तृतीय अवस्था :- बीजाणु मुक्ति [spore dispersal]

बीजाणु ( spore ) बनने के बाद मुक्त कर दिया जाता है, जिसे हवा या जल के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान में फिर से अंकुरण और विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए ले जाया जाता है, बीजाणु अत्यधिक प्रतिरोधी और टिकाऊ होते है| यह गर्म और शुष्क दोनो वातावरण में कई वर्षों तक निष्क्रिय रह सकते है|

4.कवक का जीवन चक्र का चतुर्थ अवस्था :- बीजाणु अंकुरण [spore germination]

जब बीजाणु अनुकूल नम सतह पर पहुंच जाता है, जहां पोषक तत्व और ऑक्सीजन दोनों उपस्थित होते हैं, तब बीजाणु का अंकुरण होना शुरू हो जाता है, और एक नया हाइप कॉलोनी बन जाता है, इस प्रकार ऐसे ही जीवन-चक्र चलते रहता है|

बीजाणु आमतौर पर 3 से 12 दिनों में अंकुरित हो जाता है, और कॉलोनी का निर्माण कर लेता है, तथा 18 से 21 दिनों में दिखाई देने लगता है|

मायकोटॉक्सिन क्या है? [What is mycotoxin]

यह कवक द्वारा उत्पादित एक मेटाबोलाइट्स जहरीले यौगिक है, जिन्हे मायकोटॉक्सिन कहा जाता है, कई कवक प्रजातिया मायकोटॉक्सिन पैदा करने में सक्षम है|

कुछ मायकोटॉक्सिन मनुष्यों और जानवरों के लिए घातक हो सकते है, एफ्लाटॉक्सिन माइकोटॉक्सिन का एक उदाहरण है, यह एक कैंसर पैदा करने वाला जहर है, जो कुछ खाद्य पदार्थ विशेष रूप से मकई और मूंगफली में पैदा होने वाले कवक द्वारा इस प्रकार का मायकोटॉक्सिन उत्पादित किया जाता है|

फफूँद का जीवों (मानव स्वास्थ्य) पर क्या दुष्प्रभाव हो सकता है?

कवक की कुछ प्रजातियां अत्यधिक जहरीला हो सकता है, और प्रजातियों के आधार पर मानव स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकता है| कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो सकती है| जिसका जीवों के शरीर पर बहुत बुरा असर हो सकता है|

• इनमें निम्न लक्षण शामिल है:-

  • नाक और साइनस का दर्द, सिर दर्द,बहती नाक
  • श्वसन संबंधी समस्या, जैसे घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न,अस्थमा
  • खांसना, छींकना, गले में खरास
  • आँखों में पानी आना या सूखना या दर्द होना
  • त्वचा का जलन,त्वचा पर लाल चकत्ते और खाज-खुजली, एलर्जी
  • पल्मोनरी फाइब्रोसिस (फेफड़ो में घाव)
  • कैंसर
  • प्रतिरक्षा और रक्त विकार आदि|

कवक (फफूँद) संक्रमण का घरेलू उपचार :-

  1. कोई भी घरेलू उपचार या कोई अन्य दवा लगाने से पहले प्रभावित क्षेत्र को साबुन और पानी से साफ करे, इससे संक्रमण को रोका जा सकता है|
  2. दही और प्रोबायोटिक्स का सेवन करे, जो कवक संक्रमणो को दूर करने में मदद करते है|
  3. विटामिन-C से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है| यह हमारे शरीर को विभिन्न संक्रमणो से बचाता है|
  4. नीम की पत्तियों, नारियल का तेल, अजवायन का तेल, हल्दी, लहसुन, अदरक, एलोवेरा, एप्पल साइडर सिरका, आदि कवकरोधी तथा रोगाणुरोधी कारक के रूप में काम करता है, इसका प्रयोग करना चाहिए|
  5. बेकिंग सोडा, हाइड्रोजन पराक्साइड पैरो में होने वाले कवक संक्रमण में उपयोगी होता है| (पानी और हाइड्रोजन पराक्साइड के बराबर भागों का उपयोग करके बने घोल में अपने पैरों को डुबाने से फंगस से छुटकारा पाया जा सकता है|
  6. फफूंदी लगी वस्तुओं को साफ करने से पहले सुरक्षा जैसे दस्ताने, मास्क और काले चश्मे का उपयोग करे|

आखरी सोच

इस प्रकार इस आर्टिकल में फफूँद का जीवन चक्र विस्तार पूर्वक समझाया गया है, साथ ही उनके आवास, आहार के बारे मे जानकारी दिया गया है|

आशा है कि आर्टिकल पसंद आया होगा, और कवक के बारे में उचित जानकारी प्राप्त हुआ होगा, तथा आपके लिये उपयोगी साबित हुआ होगा|

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