भारतीय कोबरा मध्यम आकार तथा भारी शरीर वाली प्रजाति है|इस प्रजाति को बड़े और काफी प्रभावशाली हुड (फन) द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है,तथा जब वे खतरा महसूस करते हैं,तो प्रसिद्ध हुड चिह्न दिखाते हुए उनका विस्तार करते है|
इसकी आंखें आकार में मध्यम व पुतली गोल होती हैं| भारतीय कोबरा साँप का जीवन चक्र तथा उससे संबधित तथ्यों के बारे में जानकारी दी गयी है, साथ ही साथ इसके व्यवहार को भी समझाया गया है|
Contents
Content (विषय सामग्री)
- भारतीय कोबरा साँप के बारे मे सामान्य जानकारी
- भारतीय कोबरा का वितरण (distribution)
- भारतीय कोबरा का आवास क्या है?
- कोबरा का आहार व पोषण क्या है?
- भारतीय कोबरा का आकार
- भारतीय कोबरा का जीवन चक्र
- अण्ड (egg)
- हैचलिंग (hechling)
- वयस्क (adult)
- सर्पदंश क्या है?
- साँप का व्यवहार
- सर्प काटने के लक्षण क्या है?
- साँप काटने के प्राथमिक उपचार
- आखरी सोच
• भारतीय कोबरा के बारे मे सामान्य जानकारी :-
यह भारत मे सबसे खतरनाक कोबरा प्रजातियों मे से है,भारतीय कोबरा (Naja naja) बहुत विषैला साँप है,इस प्रजाति का शरीर का निचले सिरे का रंग पीला,भूरा या काला होता है,तथा इसका पृष्ठीय (ऊपरी) भाग पर धब्बे नुमा सरंचना पाया जाता है, भारतीय कोबरा मे हुड का निशान सिर भाग मे पाया जाता है,जिसके द्वारा इसकी पहचान की जा सकती है|
• भारतीय कोबरा का वितरण (distribution):-
यह भारत,पाकिस्तान,श्रीलंका, बांग्लादेश,तथा दक्षिणी नेपाल मे पाया जाता है,
• भारतीय कोबरा का आवास क्या है?
भारतीय कोबरा अपनी भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार कई प्रकार के आवासों में निवास करता है|यह घने या खुले जंगलो,मैदानों,कृषि भूमि (गेहूं कि फसल व धान कि फसल),चट्टानी इलाकों व आद्रभूमि मे पाये जाते है,तथा यह आबादी वाले क्षेत्रो मे भी पाया जाता है,यह अक्सर पानी के आसपास के क्षेत्र में पाया जाता है|इसे आमतौर पर पेड़ के खोखले,दीमक के टीले,चट्टान के ढेर मे देखा जा सकता हैं|
• कोबरा का आहार व पोषण क्या है?
यह मांसाहारी होते है,चूहों,मेढ़क व छिपकली को खाते है,यह प्रजाति कभी-कभी चूहे शिकार की तलाश में इमारतों में प्रवेश करते है|सर्प शिकार करते समय दृष्टि के बजाय गंध की अपनी भावना पर भरोसा करने के लिए अनुकूलित होते हैं|सांप की कांटेदार जीभ पर उपस्थित गंध संवेदी अंग द्वारा प्रभावी रूप से शिकार की गंध की जानकारी मिलती है,अपनी जीभ को अंदर-बाहर करते हुए वह अपने शिकार की गंध का पीछा करता है|
एक बार जब वह शिकार को ढूंढ लेता है,उसके बाद यह अपने शिकार को काटता है,और अपने शिकार को मार देता है,कोबरा अपने भोजन को पूरी तरह से निगलने के लिए अपनी स्वतंत्र जबड़े की हड्डियों पर निर्भर करता है|
• कोबरा का आकार :-
यह मध्यम आकार का भारी शरीर वाला साँप होता है,इस प्रजाति का सिर अण्डाकार,गर्दन से थोड़ा अलग होता है,थूथन (snouth) बड़े व नथुने (nostril) से छोटा और गोल होता है,आंखें मध्यम आकार की होती हैं,आमतौर पर सर्प में कान अनुपस्थित होता है|
अधिकांश वयस्क साँपो की लंबाई 1 से 1.5 मीटर (3.3 से 4.9 फीट) तक होती है। कुछ कोबरा इससे भी बड़े आकार के होते है,विशेष रूप से 2.1 से 2.2 मीटर (6.9 से 7.2 फीट) की लंबाई तक बढ़ सकते हैं, लेकिन यह अपेक्षाकृत असामान्य है|
• भारतीय कोबरा का जीवन चक्र :-
साँप प्रजाति दो तरह के होते है,अण्डे देने वाले तथा बच्चे देने वाले,भारतीय कोबरा अण्डे देने वाले प्रजाति होते है,यह अप्रैल और जुलाई के बीच मे अण्डे देते है,मादा साँप आमतौर पर चूहें के छेद या दीमक के द्वारा बनाये गये बिलों मे अपने अण्डे देती है,तथा इसके अण्डे से हैचलिंग 48 से 69 दिनों बाद निकलता है|
इस प्रकार इसके तीन चरण होते है:-
1.अण्डे (egg)
मादा भारतीय कोबरा प्रति वर्ष लगभग 12 से 60 अंडे देती हैं,और यह अंडाशय डिंबवाहिनी के माध्यम से अनिषेचित (unfertilized) अंडे देती है,जिसे संग्रहीत शुक्राणु उन्हें बाहर निकलने से पहले निषेचित करता है|अण्डे सफेद व अंडाकर होते है,यह ऊष्मायन के लगभग 45 से 80 दिन की अवधि के लिए मादा कोबरा अपने अंडों की रक्षा करती हैं,जिससे उनके शरीर में गर्मी पैदा होती है|
अधिकांश साँप प्रजातियाँ अपनी संतानों का देखभाल नहीं करती हैं,लेकिन भारतीय कोबरा मादाओं के साथ ऐसा नहीं है,बल्कि वह अपने संतानो (अण्डे) का देखभाल तथा दूसरी शिकारियों से रक्षा करती है|
2.हैचलिंग (hechling)
अण्डे से निकलने के बाद साँप के बच्चों (baby cobra) को हैचलिंग (hechling ) कहा जाता है,इसका प्रारंभिक आकार उनकी प्रजातियों पर निर्भर करता है,औसतन हैचलिंग कि लम्बाई 20 से 30 सेमी (8-12 इंच) के होते है, हैचलिंग जन्म से स्वतंत्र तथा विष ग्रंथि से युक्त होते है,कोबरा अपने अण्डे से निकलने के बाद चूहों,मेढक और छिपकलियों का सेवन करते हैं,हैचलिंग शुरू से ही खुद की देखभाल करने में सक्षम होते है,और अपने हुड को फैला सकते है|
3.परिपक्व (adult)
कोबरा 4 से 6 साल की उम्र के बीच परिपक्वता तक पहुंच जाते हैं|औसत लंबाई में 3 से 7 फीट तक बढ़ता है,लेकिन यह कोबरा 18.5 फीट तक भी बढ़ सकता है। प्रजातियों के आधार पर कोबरा का वजन 20(9.07kg) पाउंड तक हो सकता है|वे विषैले होते हैं,विष केवल उनके नुकीले हिस्से में होता है|परिपक्व कोबरा एक हाथी को मारने के लिए पर्याप्त जहर का प्रबंध कर सकता है,लेकिन मुख्य रूप से उनके शिकार में खरगोश,चूहे,पक्षी,अन्य साँप शामिल हैं|
कोबरा में चयापचय की क्रिया धीमी होती है,जिसका अर्थ है कि कोबरा भोजन के बिना कई दिनों तक रह सकते हैं|मादा कोबरा नर की तुलना में लम्बाई मे बड़े होते हैं|
आंशिक रूप से यह लंबे जीवन काल 30 साल तक जीवित रह सकते हैं|लेकिन कोबरा जंगल में बीमारी या अन्य जीवन खतरों के शिकार के कारण इसका औसत जीवनकाल 20 साल तक होता है।
• सर्प दंश क्या है?
भारतीय कोबरा भारत के बड़े विषैले साँपो मे से एक है,जो भारत में सर्पदंश के द्वारा सबसे अधिक मानवीय घातक घटनाओं के लिए जिम्मेदार प्रजातियाँ हैं, भारतीय कोबरा का विष न्यूरोटॉक्सिक होता है,और इसमें शक्तिशाली पोस्ट-सिनैप्टिक न्यूरोटॉक्सिन और कार्डियोटॉक्सिन और अन्य घटक जैसे एंजाइम होते हैं जो विष को पीड़ित व्यक्ति के शरीर में फैलने में मदद करते हैं|काटने के बाद 15 मिनट और 2 घंटे के बीच में लक्षण प्रकट हो सकते हैं|इस प्रजाति के सर्पदंश के उपचार के लिए पॉलीवलेंट सीरम उपलब्ध है।
• साँप का व्यवहार :-
मादाएं अपने अंडों की रक्षा करती हैं और संभावित शिकारियों से निडर होकर उनका बचाव करती हैं।भारतीय कोबरा की आदतों के बारे में बहुत कम जाना जाता है|अधिकांश कोबरा आमतौर पर एकान्त और पूर्ण जीव होते हैं|जब कोबरा को अपने आस-पास खतरा महसूस होता है तो वह अपने फन को फैलाकर विशिष्ट मुद्रा को बना लेते हैं, जिसके लिए वे प्रसिद्ध हैं|
यह अपने शरीर के सामने का एक-तिहाई हिस्सा उठाता है,और अपनी विशिष्ट हुड विस्तार के लिए अपनी लंबी,लचीली गर्दन की पसलियों और ढीली त्वचा को लम्बा खींचता है,तथा जिस पर आंखों के समान हुड के निशान होते हैं|सांप शिकार को पकड़ने के लिए या आत्मरक्षा के लिए काटते हैं|
• सर्प काटने के लक्षण क्या है?
यदि किसी को साँप ने काट लिया है,तो उसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह किस प्रकार साँप का है,यदि वह एक बिना जहर वाले सांप के काटने से पीड़ित हैं,तो काटने के क्षेत्र के आसपास सूजन और लालिमा होने की संभावना है|लेकिन अगर आपको जहरीले सांप (कोबरा) ने काट लिया है,तो आपके पास अधिक व्यापक लक्षण होंगे,जिनमें आमतौर पर शामिल हैं:-
- त्वचा पर काटने के निशान हो सकते हैं|
- काटने के आसपास तेज,जलन दर्द,जिसे काटने के बाद थोड़ी देर के लिए महसूस नहीं होता हैं|पहले दर्द लगभग कम हो सकता है,लेकिन फिर भी घातक हो सकता है।
- काटने के क्षेत्र में लालिमा, सूजन और ऊतक क्षति
- चोट लगना, रक्तस्राव,या काटने के आसपास छाला
- काटने के स्थल पर गंभीर दर्द
- मतली, उल्टी या दस्त
- सांस लेने में तकलीफ (अत्यधिक मामलों में, सांस पूरी तरह से रुक सकती है)
- तेजी से हृदय गति,कमजोर नाड़ी,निम्न रक्तचाप
- बढ़ा हुआ लार और पसीना
- चेहरे या अंगों के आसपास सुन्नपन या झुनझुनी
- निगलने व बोलने में कठिनाई,
• साँप के काटने पर प्राथमिक उपचार:-
- रोगी को आराम से बैठने या लेटने दे|
- काटने के स्थान को साबुन और पानी से धोएं|
- साफ,सूखी ड्रेसिंग के साथ काटने को कवर करें|
- काटने के समय पर ध्यान दें,की साँप ने किस समय काटा है |
- शांत रहें और और रोगी को शांत रखने की कोशिश करे,क्योंकि घबराहट की स्थिति मे जहर शरीर में अधिक तेज़ी से फैल सकता है।
- कसने वाले कपड़े या गहने निकालें क्योंकि काटने के आसपास के क्षेत्र में सूजन हो जाएगी।
- पीड़ित को चलने की अनुमति न दें,उन्हें वाहन द्वारा ले जाना चाहिए|
- अगर संभव हो सके तो सांप की एक तस्वीर ले लेना चाहिए ताकि साँप की शीघ्रता से पहचान कर के तत्काल एन्टीवेनम इंजेक्शन दिया जा सके|
* प्राथमिक चिकित्सा में न करने योग्य बाते :-
कई पुरानी प्राथमिक चिकित्सा तकनीकें भी हैं जो अब अप्रभावी या हानिकारक मानी जाती हैं:-
- सांप के काटने के स्थान किसी भी चीज से काटे नहीं|
- काटने के स्थान पर ठंडा संपीड़ित का उपयोग न करें|
- जब तक एक डॉक्टर द्वारा निर्देशित नहीं किया जाता है,तब तक व्यक्ति को कोई भी दवा न दें|
- मुंह से विष को बाहर निकालने का कोशिश न करें|
अगर शीघ्र चिकित्सा उपचार और एंटी-वेनम उपलब्ध है,तो केवल 10% काटने के घातक साबित हो सकते हैं|लेकिन अगर सही समय पर रोगी के उपचार नहीं हो पाता तो बहुत ही घातक हो सकता है|अध्ययन से पता चला है कि अनुपचारित काटने वाले पीड़ितों में लगभग 20 से 30% की मृत्यु दर दिखाई दिया है|
पॉलीवलेंट एंटीवेनम सीरम का उपयोग भारतीय कोबरा के कारण होने वाले सर्पदंश के इलाज के लिए किया जाता है|
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