चींटी का जीवन चक्र |life cycle of ant in hindi|

इस आर्टिकल के माध्यम से चींटी के बारे में सामान्य जानकारी उपलब्ध होगा,जिसके अन्तर्गत चींटी का जीवन चक्र क्या है? उसके निवास स्थान व चींटी भोजन में क्या खाती है?उसके व्यवहार व कार्य तथा चींटी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है? इससे संबधित तथ्यों के बारे मे जानकारी प्राप्त होगी| जिसे निम्न बिन्दुओ के द्वारा समझाया गया है:-

Contents

चींटी के बारे में सामान्य जानकारी :-

चींटियां एक सामाजिक कीड़े है, यह आर्थ्रोपोडा के अंतर्गत हाइमेनोप्टेरा से संबंधित है, इसका वैज्ञानिक नाम फॉर्मिसिडा (Formicidae) है| जो कॉलोनियों में एक साथ रहते हैं| पूरी दुनिया में चींटियों की 10,000 से अधिक प्रजातियां है| एक विशिष्ट कॉलोनी में 20 मिलियन से अधिक सदस्य हो सकते है|

प्रजातियों के आधार पर इनके आकार में भिन्नता पायी जाती है, चीटियों की अधिकांश प्रजातियां 2 से 25 मिमी (लगभग 0.08 से 1 इंच) तक लम्बे हो सकते है| कुछ उष्णकटिबंधीय प्रजातियाँ बहुत बड़ी (30 मिमी) होती है| अधिकांश चींटी की प्रजातियाँ भूरी होती है, लेकिन कुछ प्रजाति काले या पीले या कुछ आंशिक या पूरी तरह से लाल होते है|

चींटी का शरीर तीन खंडों से बना है,जिसमे शिर,वक्ष,उदर भाग शामिल है| जो एक बाह्यकंकाल (exoskeleton) से घिरा हुआ है, जो इसके आंतरिक अंगों की सुरक्षा करता है| उनके सिर पर दो एंटीना मुड़ा हुआ उपस्थित होता है, जिसका यह गंध और स्पर्श करने के लिए उपयोग करते है, जो उन्हें भोजन और संचार को खोजने में मदद करते है|

एक कॉलोनी में तीन तरह के वयस्क रहते है :-रानी,नर (ड्रोन),श्रमिक चींटी| सभी सदस्यों का एक विशिष्ट कार्य होता है| कॉलोनी की सबसे बड़ी सदस्य रानी चींटी संतान उत्पन्न करने में सक्षम होती है, ड्रोन प्रजनन कार्य में सक्षम होते है|

श्रमिक कॉलोनी में सभी सदस्य के लिए भोजन इकट्ठा करना तथा कॉलोनी का निर्माण व रक्षा की जिम्मेदारी होती है| कुछ प्रजातियों के उदर की नोक पर एक शक्तिशाली डंक होता है, यह डंक मार सकती है|

चींटियों का आवास क्या हैं? (What is habitats of ants)

अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया के सभी महाद्वीप पर चींटी पाया जा सकता है| इसके प्रजातियों के निवास स्थान में भिन्नता पायी जाती है, वे कॉलोनी में रहते है| यह ऐसे स्थान को चुनते है, जहाँ नमी व भोजन नजदीक में उपलब्ध हो|

अधिकांश चींटियाँ मिट्टी में बिल बनाती है, लेकिन कुछ लकड़ी या दीवार में बिल बनाती है| और कुछ पेड़ो की पत्तियों से घोंसला बनाकर निवास करते है| बिल या घोंसला रानी चींटी व लार्वा के लिए एक संरक्षित क्षेत्र होता है|

चींटियां कुछ वर्षों तक एक ही स्थान पर रह सकती है, लेकिन बाढ़,तापमान परिवर्तन,शारीरिक गड़बड़ी,या अन्य कारणों से अपनी कॉलोनियों को स्थानांतरित कर सकते है| चींटियों में रसायन (फेरोमोन) उत्पादन के लिए ग्रंथियां होती है, चीटियों द्वारा फेरोमोन निशान छोड़े जाते है, जिसका दूसरे सदस्यों द्वारा अनुसरण किया जाता है, ताकि खाद्य स्रोतों का पता लगाया जा सके व कॉलोनी में वापस जा सके|

चींटियों का भोजन क्या है? (What is Food of ants) :-

चींटियों का खाद्य पदार्थ प्रजातियों के आधार पर भिन्न होता है, अधिकांश चींटी प्रजातियां सर्वाहारी होते है, यह पौधों और मृत जीव-जन्तु दोनों को खाते है, कुछ शर्करा वाले तरल पदार्थ खाते है, तथा कुछ पत्तियां,बीज,फल,अनाज,सब्जियां,मृत कीड़े-मकोड़े को ग्रहण करते है| लीफ-कटर प्रजाति गर्म जलवायु में रहती है, वे पत्तियों पर उगने वाले कवक को खाते है|

चींटी का जीवन चक्र (life cycle of ant) :-

चींटी का जीवन चक्र क्या है? (what is life cycle of ant) :-

जैविक परिवर्तनों तथा विकास का वह क्रम जिसमे एक चींटी का जीवनकाल अण्ड प्रावस्था से शुरू होकर अंतिम में वयस्क अवस्था तक पहुंचती है, इसे ही चींटी का जीवन चक्र कहा जाता है|

चींटियों के जीवन काल के चरण (Stages of life span of ants) :-

चीटियों का जीवनकाल अन्य सामाजिक कीट ( मधुमक्खी ,तितली ,ततैयों) की तरह चार चरणो में पूर्ण रूप से मेटामोर्फोसिस से होकर गुजरता है:-

  1. अण्ड प्रवस्था
  2. लार्वा
  3. प्यूपा
  4. वयस्क

यह पूरी प्रक्रिया को शुरू से खत्म होने तक 8 से 10 सप्ताह (लगभग 70 दिनों ) का समय लग सकता है|

1. चीटी के जीवन चक्र का प्रथम अवस्था :- अण्ड (egg)

चींटी का पहला चरण अंडे के रूप में शुरू होता है| नर संभोग फेरोमोन का स्राव करते है, जिसका रानी चींटी अनुसरण करती है, उसके बाद शुक्राणुओं को संग्रहित करती है, व कॉलोनी शुरू करने के लिए उपयुक्त जगह की तलाश करती है, तथा वे अपने टिबियल स्पर्स (tibial spurs) का उपयोग करके पंखों को तोड़ देते है|

एक बार कॉलोनी पूर्ण होने के बाद रानी कक्ष में प्रवेश करके प्रवेश द्वार को बंद कर देती है, तथा अंडे देना आरंभ करती है, रानी चींटी निषेचित अंडे और अनिषेचित अंडे देती है, निषेचित अंडे मादा (रानी व श्रमिक) चींटियों में बदल जाते है, यह द्विगुणित होते है, अनिषेचित अंडे नर चींटियों में बदल जाते है, यह अगुणित होते है|

अंडे छोटे,पारदर्शी व सफेद चमकदार और चिपचिपे होते है, प्रजातियों के आधार पर यह 0.5 से 1 मिमी तक हो सकते है| रानी चींटी लगभग 100,000 – 300,000 अंडे देने में सक्षम होती है| अंडे देने के बाद इसे कॉलोनी कि कक्षों में रखा जाता है, जिसका श्रमिकों द्वारा देखभाल किया जाया है|

इसके अंडे 7 से 14 दिनों में तैयार हो जाते है| अधिकांश अंडे इस अवस्था में विभिन्न वातावरणीय कारको के कारण नष्ट हो जाते है, तथा बचे हुए अंडे दूसरे चरण में प्रवेश करते है|

2. चीटी के जीवन चक्र का द्वितीय अवस्था :- लार्वा (larvae)

इस चरण में अंडे देने के कुछ दिनों बाद अंडे लार्वा में बदल जाते है, यह पीले-सफेद,पारदर्शी दिखाई देते है, इसमें आँख और पैर अनुपस्थित होता है, इनका श्रमिक चीटियों द्वारा देखभाल किया जाता है, तथा कार्यकर्ता चींटियों द्वारा ले जाया जाता है, व भोजन खिलाया जाता है|

यह ठोस और तरल दोनों प्रकार के भोजन खाते है, लार्वा को तेजी से बढ़ने के लिए निरंतर पोषण आवश्यकता होती है, इसलिए इस अवस्था में लार्वा अपना पूरा समय भोजन करने में बिताती है| यह इस चरण में 6 से 14 दिनों तक रहता है| उसके बाद तीसरे चरण में प्रवेश करता है|

कॉलोनी मे रानी के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन का उपयोग किया जाता है, तथा एक लार्वा को विशेष भोजन सामग्री उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वह रानी में विकसित हो सके| इस चरण के दौरान लार्वा बाह्यकंकाल का निर्मोचन (मोल्ट) करता है, तथा चार या पांच मोल्ट प्रक्रिया के बाद विकसित होता है|

3. चीटी के जीवन चक्र का तृतीय अवस्था :- प्यूपा (pupae)

यह तीसरी विकासात्मक अवस्था है| चींटी का लार्वा कई मोल्ट के दौरान एक प्यूपा में बदल जाता है| तथा एक निश्चित आकार तक पहुंचने के बाद लार्वा अपने चारों ओर एक रेशम (चिपचिपा पदार्थ) लपेटने लगता है, जो वायु के सम्पर्क में आने पर कठोर हो जाता है, जिसे कोकून कहा जाता है|

यह सफेद या भूरे रंग का होता है| इस समय यह वयस्क चींटियों की तरह दिखाई देते है, इस अवस्था में इसके शरीर के विभिन्न भाग जैसे आंखों, पंखों, एंटीना व पैर का विकास आरम्भ हो जाता है|

लार्वा और प्यूपा को उचित विकास के लिए लगातार स्थिर तापमान पर रखने की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे कॉलोनी के निचले कक्षों में रखा जाता है| प्यूपा लगभग 9 से 30 दिनों के बाद वयस्क चींटी के रूप में विकसित हो जाते है|

4. चीटी के जीवन चक्र का चतुर्थ अवस्था :- वयस्क (adult)

यह अंतिम चरण है, इस अवस्था मे प्यूपा एक वयस्क के रूप में विकसित होता है| वयस्क चींटी 6 से 10 सप्ताह के बाद कोकून से बाहर निकलते है, यह पूरी तरह से विकसित होते है| वयस्क अवस्था में पहुंचने के बाद कोकून से निकलने के समय चींटी का शरीर नरम,हल्का रंग व पारदर्शी होता है, जो कुछ घंटों के बाद गहरा और कठोर हो जाता है|

इसकी दो आंखे होती है, लेकिन चीटियां देख नहीं सकती| इसके सिर पर एक जोड़ी एंटीना पायी जाती है, जो संचार में मदद करती है| उसके छःपैर पूर्ण रूप से विकसित होता है, जो शरीर के मध्य भाग से जुड़े होते है| इसके सिर पर शक्तिशाली जबड़े होते है|

प्रत्येक कॉलोनी में तीन प्रकार की चींटियाँ होती है:-

  1. रानी चींटी
  2. नर (ड्रोन) चींटी
  3. श्रमिक चीटियां

रानी व नर चींटी पँख युक्त होती है, यह प्रजनन के लिए उत्तरदायी होते है, श्रमिक चिंटिया पंख रहित होती है| रानी और नर को एलेट्स भी कहा जाता है| रानी, नर व श्रमिक चीटियां पूर्ण रूप से परिपक्व होने के बाद अगली पीढ़ी का निर्माण करने के लिए तैयार हो जाते है, चींटियाँ कालोनी का निर्माण करती है, जिसमें रानी चींटी द्वारा अंडे दिए जाते है,जिसका श्रमिक चींटियों द्वारा देखभाल किया जाता है, इस प्रकार यह चक्र चलते रहता है|

1. रानी चींटी (Queen ant) :-

रानी चींटी कॉलोनी की संस्थापक होती है, यह कॉलोनी में सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है, यह निषेचित अंडे से विकसित होती है| कॉलोनी मे केवल एक रानी होती है, लेकिन कई प्रजातियों में एक से अधिक रानियाँ हो सकती है, यह आकार में सबसे बड़ी होती है, लगभग 15 मिमी तक लंबी हो सकती है|

रानी और नर चींटियों में एक जोड़ी पँख होती है,जो उनके शरीर की एक विशिष्ट विशेषता है, लेकिन जब वे एक नया कॉलोनी शुरू करते है, तो वे अपने पंख तोड़ देती है| क्योंकि उनकी अब आवश्यकता नहीं होती है, रानी अपने वक्ष के साथ कॉलोनी में रहती है|

पूर्ण रूप से परिपक्व होने के बाद अंडे देने का कार्य शुरु करती है| लीफकटर चींटी अपने जीवनकाल में लगभग 150 मिलियन श्रमिकों का उत्पादन कर सकती है| यह 30 साल तक लंबे समय तक जीवित रह सकती है|

कई प्रजातियों में कॉलोनी में सदस्यों कि संख्या बढ़ने पर नई कॉलोनियां स्थापित की जाती है, तथा एक नई रानी अनेक श्रमिकों के साथ कॉलोनी छोड़ देती है, और कुछ दूरी पर एक नए स्थान पर स्थानांतरित हो जाती है|

2.नर (ड्रोन) चींटी (drone ant) :-

नर चींटियों का विकास अनिषेचित अंडों से होता है, इसे ड्रोन भी कहा जाता है, यह कॉलोनी में सबसे छोटा सदस्य है, नर चींटियां मादाओं की तुलना में बहुत छोटे व मोटे होते है, और उनमें लंबे समय तक एंटीना उपस्थित होता है|

इसका मुख्य कार्य प्रजनन प्रक्रिया में भाग लेना है,ताकि रानी चींटी अंडे दे सके| अधिकांश नर कॉलोनी छोड़ने के 10 से 14 दिन बाद मर जाते है|

3.श्रमिक/कार्यकर्ता (worker) :-

श्रमिक निषेचित अंडे से उत्पन्न होती है, सभी श्रमिक मादा होती है, श्रमिक रानी से बहुत छोटी होती है, इसका आकार प्रजातियों के आधार पर भिन्न हो सकती है| यह पंखहीन और बाँझ होती है, यह अंडे नहीं देती है, यह कॉलोनी में सबसे ज्यादा संख्या में पायी जाती है| जब श्रमिक परिपक्व हो जाते है, तो यह अपना पूरा जीवन चींटियों की देखभाल करने का काम करती है|

सभी श्रमिकों का कार्य विभाजित होता है, पुराने श्रमिक भोजन इकट्ठा करते है, और छोटे नये श्रमिक अंडे व लार्वा को इकट्ठा कर उनका रखरखाव करते है, इसके अलावा भोजन का भंडारण,कक्षों का निर्माण, कॉलोनी की मरम्मत व सभी सदस्यों का दुश्मनों से रक्षा करते है| यह 3 से 7 वर्ष तक जीवित रह सकते है|

जब किसी कॉलोनी में रानी की मृत्यु हो जाती है, तो आपातकालीन समय में श्रमिक प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाती है, और अंडे देने का कार्य करती है, ऐसे श्रमिकों को गेमरगेट् (gamergate) कहा जाता है|

चींटियों का व्यवहार व कार्य (behavior and work of ants) :-

• प्रत्येक कॉलोनी की एक विशिष्ट गंध होती है, चींटियां फेरोमोन गंध से एक दूसरे की पहचान कर सकती है, तथा दूसरे कॉलोनी की चींटी की पहचान कर अपने अलार्म रसायनों का उत्पादन करती है, जिससे अन्य श्रमिक चींटियों को बुलाती है, और उन पर हमला करती है, तथा घोंसले को बचाने में मदद करते है|

• श्रमिक चींटियां भोजन की खोज में लगभग 700 फीट दूर तक यात्रा कर सकते है| चीटियां एक लाइन में चलती हुई अपने कॉलोनी से अन्य चींटियों द्वारा छोड़े गए गंध निशान का पालन करके अपने घोंसले में वापस जाने में सक्षम होती है|

• चींटियों के फेफड़े नहीं होते है, यह स्पाइरैड्स के माध्यम से सांस लेते है| चीटियां सर्दियों के महीने में निष्क्रिय हो जाती है, व गर्म जलवायु में सक्रिय हो जाती है|

चीटियों के नियंत्रण के उपाय :-

1. चाक :-

चाक में कैल्शियम कार्बोनेट होता है| जिससे प्रवेश द्वार पर चाक की एक रेखा खींचते है, जो चींटियों को दूर रखने में मदद करता है|

2. विषहीन चींटी निवारक (nontoxic ant deterrents):-

चींटियों को पसंद न आने वाले पदार्थो जैसे:-सिरका,पुदीना,लौंग, दालचीनी,काली मिर्च,नमक,नीबू, संतरे (रस व छिलका) का उपयोग करके चींटी तथा अन्य कीड़े-मकोड़े (मच्छर, दीमक) को नियंत्रित किया जा सकता है|

इस प्रकार यहां पर चींटी के जीवन चक्र मे आने वाले विभिन्न चरणों को विस्तार से समझाया गया है, साथ ही उनके व्यवहार व गतिविधियो के बारे मे भी जानकारी दिया गया है|

आशा है कि आर्टिकल पसंद आया होगा, और चींटी का विकास क्रम समझ मे आया होगा, और आपके लिये उपयोगी साबित हुआ होगा|

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